धार्मिक

इस साल कोजागिरी तिथि इस दिन है। चाँद की रोशनी में दूध को गर्म करने का क्या कारण है ?

नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है दोस्तो इस साल कोजागिरी पूर्णिमा ९ अक्टूबर २०२२ को है। इस दिन अगर आप चंद्रमा के किरणों में रखा दूध पीते हो तो उससे हमें क्या फायदा होता है और इसका धार्मिक तौर से क्या महत्व है यह आज हम जानने वाले है।

आश्विन पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के रूप से मनाया जाता है। इस दिन चंद्र पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस दिन कोजागरी व्रत का महत्व है, पुरे दिन उपवास रखके रत को लक्ष्मी माता की और इंद्रदेव की पूजा की जाती है और इनको भोग में दूध दिया जाता है ऐसी प्रथा है। हरसाल की तरह इस साल भी पूर्णिमा को आधी रात को दूध चंद्रमा के किरणों में रखा जाएगा और फिर उसका सेवन करते है।

संस्कृत में एक शब्द है ‘को जागर्ति’ इसका मतलब है कोण जग रहा है। दरसल ऐसा माना जाता है की इस दिन आधी रात को लक्ष्मी माता चंद्रमंडल से पृथ्वी पर उतरति है। इसलिए इस दिन को कोजागिरी पूर्णिमा कहा जाता है।

कोजागिरी को दूध चंद्रमा के किरणों में रखने का महत्व :

शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है की इस दिन दूध चंद्रमा के किरणों के निचे रखने से हमें कई सारे रोगों से मुक्ति मिलती है। क्युकी इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के काफी करीब होता है और चंद्र का प्रकाश काफी शुद्ध और सात्विक होता है। जिनको त्वचा के संबंधी रोग है उनके लिए यह दूध काफी फायदेमंद रहता है। इसके अलावा भी इसको कई मायनों में खास माना जाता है, नेत्र पीड़ित लोगो के लिए भी यह दूध काफी खास होता है।

कोजागिरी पूर्णिमा की तिथि :
आश्विन शुक्ल पक्ष की तिथि पूर्णिमा तिथि जिसको शरद पूर्णिमा कहा जाता है वह ९ अक्टूबर रविवार को सुबह ३:४१ मिनिट को शुरू हो रही है और वह दूसरे दिन मतलब १० अक्टूबर सोमवार सुबह २:२५ मिनिट तक है। पुराणों के अनुसार देवी लक्ष्मी माता अपने वाहन पर सवार होकर पुरे पृथ्वी पर चक्कर लगाती है। इस दिन माता लक्ष्मी की जो भी पुरे मनोभाव से पूजा करता है उसके सारे कष्ट माता लक्ष्मी दूर करती है।

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार इस दिन ही माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए यह तिथि धनप्राप्ति के लिए बोहोत शुभ मानी जाती जाती है। तो दोस्तों यह थी कोजागिरी पूर्णिमा की कुछ जानकारी आपको अच्छी लगे हो तो कमेंट में जरूर बताइए।