भारत में ऐसे महान हॉकी प्लेयर से उनकी गिनती करेंगे तो कम ही पड़ जाएगी हम कुछ ऐसे साथ महान हॉकी खिलाड़ी के बारे में जानकारी देने वाले हैं शायद आपको पता भी हो सकता है
भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी
मेजर ध्यानचंद
मेजर ध्यानचंद का नाम हॉकी के खिलाड़ियों में सर्वश्रेष्ठ फील्ड हॉकी खिलाड़ी के रूप में लिया जाता है । इन्हें ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगी के रूप में देखा गया था। मेजर ध्यानचंद ने सन 1928 से लेकर के 1936 तक तीन ओलंपिक स्वर्ण पदक भारत के लिए हासिल किए थे। इन्होंने अपने कैरियर के दौरान हजार से भी अधिक गोल किए थे ।।मेजर ध्यानचंद को विजार्ड के नाम से भी जाना जाता है। मेजर ध्यानचंद को अपने खेल में इतनी विशेषता प्राप्त थी कि नीदरलैंड के विशेषज्ञ ने एक बार मैच शुरू होने से पहले इनकी हॉकी स्टिक तोड़ दी थी ।इसका उद्देश्य यह था कि वह पता लगाना चाहते थे कि इनके हॉकी स्टिक के अंदर कोई चुंबक तो नहीं है । बता दे कि ध्यानचंद भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। 3 दिसंबर सन 1979 में मेजर ध्यानचंद इस दुनिया को अलविदा कह गए।
बलबीर सिंह सीनियर
बलबीर सिंह सीनियर का भी नाम भारतीय हॉकी के महान खिलाड़ी में शामिल है। सर्वश्रेष्ठ सेंटर फॉरवर्ड में से एक रह चुके बलबीर सिंह सन 1948 सन 1952 एवं सन 1956 में लगातार तीन बार भारत को ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलवाने वाले दूसरे भारतीय हॉकी खिलाड़ी बने थे। बलवीर सिंह भारतीय हॉकी टीम का बहुत अहम हिस्सा थे। इन्होंने सन 1958 एवं 1962 में एशियाई खेलों में भी सिल्वर मेडल हासिल किया था। बता दे कि बलबीर सिंह ने ओलंपिक के दौरान नीदरलैंड पर भारत की ओर से 6-1 की स्वर्णिम जीत में गोल करने का रिकॉर्ड बनाया था । इनका यह रिकॉर्ड अभी भी कायम है, सन 1957 में बलबीर सिंह सीनियर को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बलबीर सिंह सीनियर इस सम्मान से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी बने थे।
धनराज पिल्ले
धनराज पिल्ले भारतीय हॉकी टीम के महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। इन्हें विश्व हॉकी में सर्वश्रेष्ठ फॉरवर्ड के रूप में निर्विवाद रूप से स्वीकार किया गया था। यह भारतीय हॉकी टीम के कप्तान भी रह चुके थे ।अपने ड्रिलिंग कौशल के लिए धनराज पिल्ले काफी प्रसिद्ध रहे यह ड्रिबलिंग में इतने माहिर थे कि बिना किसी सूचना के विपक्ष टीम का बचाव भेद डालते थे।इनकी लोकप्रियता भारत एवं विदेशों में भी काफी अधिक थी । अपने खेल के कारण धनराज पिल्ले को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त हुए थे। खेल में महान योगदान देने हेतु धनराज पिल्ले को सन 1995 में अर्जुन पुरस्कार एवं सन 1998-99 का केके बिरला पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।सन 1990 में धनराज पिल्ले को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार प्रदान किया गया और सन 2000 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
उधम सिंह
भारतीय हॉकी के खिलाड़ी उधम सिंह का नाम सर्वश्रेष्ठ भारतीय हॉकी खिलाड़ी के तौर पर लिया जाता है। चार ओलंपिक खेलों में इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उधम सिंह दूसरे खिलाड़ी बने थे जिन्हें ओलंपिक खेलों में तीन गोल्ड और एक सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ था। भारत हॉकी टीम के लिए उधम सिंह की प्रतिबद्धता एवं इनके बेहतरीन प्रदर्शन हेतु इन्हें सन 1965 में अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया गया था । उधम सिंह भारतीय हॉकी टीम के कोच भी रह चुके हैं ।जिस वक्त यह भारतीय हॉकी टीम के कोच थे उस दौरान भारतीय हॉकी टीम ने मेक्सिको ओलंपिक सन 1968 एवं बैंकॉक में आयोजित सन 1970 के एशियाई खेलों में सिल्वर मेडल जीता था।
लेस्ली क्लॉडियस
लेस्ली क्लॉडियस का नाम भारत के सबसे अच्छे हॉकी खिलाड़ियों में गिना जाता है। लेस्ली क्लॉडियस के कैरियर के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने लगातार तीन वर्षों में ओलंपिक में स्वर्ण पदक हासिल किया और सन 1960 में रजत पदक हासिल किया । 4 ओलंपिक खेलने वाले यह पहले भारतीय हॉकी खिलाड़ी के तौर पर भी जाने गए। इसके साथ ही लेस्ली भारतीय हॉकी टीम के मेंटर भी रह चुके थे। इनके मेंटरशिप के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने सन 1960 की ओलंपिक में दूसरा स्थान प्राप्त किया था । बता दें कि 20 दिसंबर साल 2012 में 85 वर्ष की उम्र में उनका देहांत हो गया।
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अजीत पाल सिंह
अजीत पाल सिंह भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान रह चुके हैं ।इसके साथ ही इनका नाम विश्व के असाधारण सेंटर हाफ खिलाड़ियों में से गिना जाता है। तीसरे हॉकी विश्व कप में भारतीय टीम को जीत दिलाने में अजीत पाल सिंह ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इन्होंने अपने कैरियर के दौरान ओलंपिक में तीन बार भारतीय हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व किया था। सन 1970 एवं 1974 में उन्होंने भारतीय टीम को एशियाई खेलों में रजत पदक भी प्राप्त करवाया था। अजीत सिंह वह पहले खिलाड़ी थे जिन्हें साल 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए शेफ डे मिशन के रूप में चुना गया था ।इन्हें सन 1970 में अर्जुन पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था और सन 1992 में पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
गगन अजीत सिंह
गगन अजीत सिंह का नाम भारतीय हॉकी टीम के प्रमुख स्ट्राइकरों में लिया जाता है । इनके ही गाइडेंस के अंदर में भारतीय जूनियर हॉकी टीम ने साल 2001 में विश्व कप में जीत हासिल की थी । बता दें कि गगनजीत सिंह स्थानीय हॉकी क्लब के लिए खेलते हैं और साल 2005 से यह नीदरलैंड के एक फील्ड हॉकी क्लब के लिए भी खेल रहे हैं । गगन अजीत सिंह वह एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्हें एशियाई पुरुष हॉकी समूह में चुना गया था। बता दे कि एयर इंडिया के लिए सन 1997 में सबसे अधिक गोल करने का रिकॉर्ड गगन अजीत सिंह के नाम दर्ज है ।साल 2002 में इन्हें भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था।